कौन है किसान आंदोलन के पीछे, क्यों हो रहा है किसान आंदोलन यहां देखें
उत्तर भारत के किसानों ने काफ़ी लंबे समय के बाद राजधानी दिल्ली को अपने विरोध का गढ़ बनाया है. दिल्ली में जो देखने को मिल रहा है वो 32 साल पहले दिखा था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत लाखों किसानों को लेकर बोट क्लब पहुँच कर धरने पर बैठ गए थे. माँग थी कि गन्ने की फ़सल के दाम ज़्यादा मिलें और बिजली-पानी के बिलों में छूट मिले, जो पूरी भी हुई. मौजूदा आंदोलन अब एक महीने से ज़्यादा चल चुका है और दिल्ली के बॉर्डर पर डटे लाखों किसान इस माँग पर अड़े हुए हैं कि कुछ महीने पहले लागू हुआ नया कृषि क़ानून वापस लिया जाए. ये किसान आंदोलन सिर्फ कुछ किसानों को ही नहीं भा रहा है उनके मन में इस बात का दर बैठा दिया है कि अगर ये कानून लागू हुआ तो किसान अपनी फसल के साथ साथ अपनी जमीन भी खो देगा, लेकिन ये बात बिल्कुल झूठी है और किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है, देश के ज्यादातर राज्यो में contract farming बहुत सालों से चली आ रही है, इसमें ना केवल किसान अपनी फसल का सही दाम ले सकता है बल्कि कभी भी कॉन्ट्रैक्ट तोड़ कर दूसरे आढ़ती को अपनी फसल बेच सकता है, किसान को उनकी फसल का अच्छा ...